पाइल्स और होमियोपैथी
पाइल्स भी बहुत ही सहजता से हर घर में पायी जाने वाली बीमारी है। कब्ज़ पाइल्स की पहली सीढ़ी है। कभी-कभी ये बीमारी इतनी भयानक रूप धारण कर लेती है कि सर्जरी भी करानी पड़ती है। पाइल्स या बवासीर की बीमारी बढ़ने से पहले रोक लगा लें।
होम्योपैथिक दवाओं के साथ ये आसानी से सही हो जाते हैं।
पाइल्स को माडर्न लाइफ स्टाइल की बीमारी कहें तो कॊई अतिश्योक्ति न होगी । खाने पीने मे अनिमियता , जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता महत्व ,
जो लोग लंबे समय तक खड़े होकर काम करते हैं, उनमें भी बीमारी ज्यादा बढ़ सकती है। चाय काफी का अधिक सेवन करना भी बहुत प्रमुख कारण है।
रेक्टम रीजन या मर द्वार से खून आना अक्सर पहला सिम्पटम होता है, जो कि दर्द रहित स्राव होता है।।लेकिन और भी कई कारण हैं बवासीर के रोगियों के बढने में,तो सबसे पहले जाने बवासीर और उसके मूल कारण :
आंतों के अंतिम हिस्से या मलाशय की धमनी शिराओंके फ़ैलने को बवासीर कहा जाता है।
बवासीर तीन प्रकार की हो सकती है।
1:- बाह्य पाइल्स:- फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार से मसों का बाहर आना
2:- आन्तरिक पाइल्स:- फ़ैली हुई धमनी शिराओं का मल द्वार के अन्दर रहना
3:- मिक्सड पाइल्स:- भीतरी और बाहरी मस्से
कारण:-
1:- बहुत दिनों तक कब्ज की शिकायत रहना
2:- सिरोसिस आफ़ लिवर
3:- ह्र्दय की कुछ बीमारियाँ
4:- मांस, अण्डा, प्याज , लहसुन, मिर्चा, गरम मसाले से बनी सब्जियाँ, रात्रि जागरण , वंशागत रोग
5:- मल त्याग के समय या मूत्र नली की बीमारी मे पेशाब करते समय काँखना
6:- गर्भावस्था मे भ्रूण का दबाब पडना
7:- डिस्पेपसिया और किसी जुलाब की गोली क अधिक दिनॊ तक सेवन करना
लक्षण:-
1:- मलद्वार के आसपास खुजली होना
2:- मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
3:- मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
4:- मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
5:- मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना
बवासीर से बचाव के उपाय
कब्ज के निवारण पर अधिक ध्यान दें। इसके लिये:-
1:- अधिक मात्रा मे पानी पियें
2:- रेशेदार खाध पदार्थ जैसे फ़ल , सब्जियाँ और अनाज लें आटे मे से चोकर न हटायें
3:- मलत्याग के समय जोर न लगायें
4:- व्यायाम करें और शारिरिक गतिशीलता को बनाये रखें 5-मैदे से बने सामान से परहेज़ करें
5:- चाय काफी , ब्रेड से बने सामान कम खाएं
होम्योपैथिक उपचार:-
किसी भी औषधि की सफ़लता रोगी की जीवन पद्दति पर निर्भर करती है । पेट के अधिकाशं रोगों मे रोगॊ अपने चिकित्सक पर सिर्फ़ दवा के सहारे तो निर्भर रहना चाहता है लेकिन परहेज से दूर भागता है । अक्सर देखा गया है कि काफ़ी लम्बे समय तक मर्ज के दबे रहने के बाद मर्ज दोबारा उभर कर आ जाता है अत: बवासीर के इलाज मे धैर्य और संयम की आवशयकता अधिक पडती है ।
नीचे दी गई औषधियाँ सिर्फ़ एक संकेत मात्र हैं , दवा के उचित चुनाव के लिये एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक पर भरोसा करें ...
१. बवासीर के मस्सों में दर्द और जलन:- Aconite, Ignatia, Aloes, Chamomilla, Bell, Acid Mur, Paeonia
२. खुजलाहट:- Arsenic, Carbo, Ignatia, Sulphur
३. स्ट्रैंगुलैशन:- Belladona, Ignatia, Nux
४. ब्लीडिंग:- Aconite, Millifolium, Haemmalis, Cyanodon
५. मस्से कडॆ:- Sepia
६. बवासीर के मस्सों का बाहर निकलना पर आसानी से अन्दर चले जाना:- Ignatia
७. भीतर न जाना:- Arsenic, Atropine, Silicea, Sulphur
८. कब्ज के साथ:- Alumina, Collinsonia, Lyco, Nux, Sulphur
९. अतिसार के साथ:- Podo, Capsicum, Aloe
१०. बच्चों मे बवासीर:- Ammonium Carb, Borax, Collinsoniia,
यह लेख केवल जानकारी के लिए है, निवेदन है इसे देखकर अपना ईलाज न करें।
होम्योपैथिक दवाएं बाडी कांस्टीट्यूशन, शारीरिक मानसिक संरचना को देखकर , पेशेंट को इंडीविजुएलाइज करने के बाद ही दवाएं प्रेस्क्राइब की जाती हैं।
बिना पूरी जानकारी के इलाज करना घातक हो सकता है।
डॉ प्रियंका एम तिवारी ( होम्योपैथिक चिकित्सक)
डालको हेल्थकेयर सेंटर
पश्चिम विहार वेस्ट मेट्रो स्टेशन
नई दिल्ली
मो:- 9953024116 8383852966
By:- A.P.Singh (M.Sc. Agronomy)
Khajanchi Chauraha (U.P.-53)
Gorakhpur-273003
India
और हमारे Facebook Page को लिंक करें :- https://www.facebook.com/Agriculture-Baba-106481014364331/
एवं हमारे Instagram Account को लिंक करें:- https://www.instagram.com/agriculturebaba7800/