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Wednesday, March 16, 2022

THE KASHMIR FILES IN INDIA'S HINDU FAMILY CONDITION

 "कश्मीर फाइल" में हमने क्या क्या देखा?

            

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👉सिनेमा हॉल की जगह एक क्रांति स्थल दिखा  जहां से क्रांति की चिंगारी जल सकती है ऐसी हमने संभावना देखी

👉कश्मीर फाइल में हमने अपने ही खाने वालों का नमक हरामीपन दिखा

👉 हमने पूरी कौम की गद्दारी देखी

👉 हमने मीडिया की बदमाशी देखी 

👉प्रशासन की अनदेखी देखी

👉 प्रशासकों का ऐसो आराम देखा

👉 देश के युवाओं को कैसे भ्रमित किया जाता है उनकी सिस्टम देखी 

👉टुकड़े टुकड़े गैंग और विघटनकारी तत्वों की जालसाजी देखी 

👉 कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम देखा

👉सच को झूठ और झूठ को सच साबित करने का प्रयास देखा 

👉पिछले 75 साल से टोपी वालों की गद्दारी देखी 

👉इस्लाम धर्म नहीं लेकिन धर्म के नाम पर धब्बा देखा

👉 इस्लामिक कट्टरता देखि

👉 इस्लामिक आंतकवाद का मॉडस ऑपरेंडी देखी 

👉इस्लाम की हैवानियत देखि और जंगालियत भी देखी

👉इस्लामिस्ट दुनिया में कहीं पर भी हो सब की मानसिकता एक ही देखी

👉कश्मीर जैसा ही पूरे भारत में आने वाले समय में होने वाली दुर्घटना से पहले आभास देखा

👉देखने वाले दर्शकों के आंखों में जुनून देखा 👉सभी के सभी दर्शकों की आंखों में गंगा की बहती धारा देखी

👉सभी दर्शकों का प्रतिज्ञा बद्ध संकल्पित देखा

👉दर्शकों के दिल में बदले की भावना का बाढ देखा

👉टोपी धारी मुल्लाह का संपूर्ण आर्थिक बहिष्कार करने का निर्धार देखा

👉जाने से पहले ही सभी लोगों ने भारत माता की जय जयकार का गुंजाराव देखा

👉 75 साल की नींद मैं से उठते हुए भारत को देखा

By:- A.P.Singh (M.Sc. Agronomy)

Khajanchi Chauraha (U.P.-53)

Gorakhpur-273003

India

लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)  

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Thursday, March 10, 2022

PAIN IN URETHRA-मूत्र मार्ग का दर्द

 मूत्र मार्ग का दर्द


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कारण एवं परिचय:- मूत्र प्रणाली में चोट लगने, कीटाणुओं के संक्रमण, साईकिल की लम्बें समय तक यात्रा, मूत्रकृच्छ्ता, सुजाक एवं गर्म वस्तु के सेवन  से मूत्र मार्ग में दर्द होने लगता हैं, जो बहुत ही कष्टकारक होता हैं। 

लक्षण:- 

  • मूत्र मार्ग में टिस एवं दर्द। 
  • मूत्र का रंग गहरा पीला या रक्त की उपस्थिति के कारण लाल रंग का। 
औषधि चिकित्सा व्यवस्था:-
  1. 'नेफ्रोजेसिक' (Nephrogesic) 'इथनार' 1-2 टी. भोजन के बाद जल से 3 बार दे। 
  2. ओरफैलजिन (Orphalgin) 'विडल शावयर' -1 कैप्सूल दिन में 3-4 बार आवश्यकतानुसार। प्रोस्ट्रेट ग्रंथि वृद्धि तथा 'ग्लोकोमा' में प्रयोग न करें। 
  3. सयनमोकस (साराभाई)- 250 मि.ग्रा. का कैप्सूल + एक्वाजेसिक (जॉन बाइथ) 1 गोली दिन में 3 बार। 
  4. कम्पोज़ (रैनवैक्सी) 5 ग्राम की 1-2 टिकिया। 
  5. संक्रमण के लिए सेप्ट्रान/डोक्सीसाइक्लीन या टैक्सिम (Taxcim)- एंटीबॉयोटिक।
अनुभूत चिकित्सा:-
  • पेन्टिङ्स 1 टिकिया, सल्फाइडायजीन 1 टिकिया, क्रोसिन 1 टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 बार पानी से। 
  • फेनोसिन (फाइजर) 1 टिकिया, वैरालग्न (हैक्ट्स) 1 टिकिया।  ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 बार पानी से। 
  • स्पास्मोप्रोक्सीवन (वॉकहार्ड) 1 कैप्सूल ओरिपरिम डी. एस. आधा टिकिया। ऐसी 1 मात्रा दिन में 2 या 3 बार। 
नोट:- 'बुस्कोपान कम्पोजिटम' (जर्मन रमेडीज) 5 मि.ली. का इंजेक्शन गहरे मांस में धीरे-धीरे लगाने से लाभ होता हैं।  

Khajanchi Chauraha (U.P.-53)

Gorakhpur-273003

India

लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)  
सहायक :- अंशिका सिंह पटेल (B.A., B.T.C.) 


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Monday, March 7, 2022

WHAT IS URAEMIA EMERGENCY ?

 मूत्र में विष/आपात यूरीमिया 


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परिचय:- जब मूत्र  उपस्थित विषैला पदार्थ किसी प्रकार रक्त में पहुंच जाता हैं तो शरीर में यूरीमिया के लक्षण उत्पन्न हो जातें हैं जो अति विषैले होते हैं। इसमें साँस से गंध अमोनिया जैसी आती हैं। 

When the toxic substances present in urine somehow reach the blood, the symptoms of uremia arise in the body which are highly toxic. It smells like ammonia from the breath.

लक्षण:- सिर चकराना, तीव्र दर्द, अनिद्रा, बुद्धि विकार, रोगी के मांस से मूत्र की बदबू आना, तीव्र स्वरूप का ज्वर, क्षणिक अंधापन एवं आंशिक बहरापन। भूख न लगना, प्यास, अधिक उबकाई एवं वमन। 

Dizziness, severe pain, insomnia, intellectual disorder, smell of urine from the patient's flesh, high fever, transient blindness and partial deafness. Loss of appetite, thirst, excessive nausea and vomiting.

औषधि चिकित्सा व्यवस्था:-

  • द्रव पदार्थ अधिक मात्रा में। 
  • डीहाइड्रैशन (पानी की कमी) की उपस्थिति में 5 % डेक्स्ट्रोज आई. वी.
  • एसिडोसिस के लिए:- सोडियम लेक्टेट 5.90 ग्राम दिन में 3 बार। 
  • संक्रमण के लिए:- 'ऐंटीबीओटिक्स'-बैक्ट्रिम/ओरिपरिम/ सेप्ट्रान 2 टिकिया 5 दिन तक। 
  • रक्तचाप वृद्धि तथा हार्ट फेलर की चिकित्सा करें।
  • fluid in excess.
  • 5% Dextrose IV in the presence of dehydration (lack of water).
  • For Acidosis:- Sodium Lactate 5.90 grams thrice a day.
  • For infection:- 'Antibiotics' - Bactrim / Oriprim / Septran 2 tablets for 5 days.
  • Treat high blood pressure and heart failure.
  •  
यूरीमिया की चिकित्सा विस्तार रूप में:-

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  1. डेक्स्ट्रोज सैलाइन 5 % आई. वी. ड्रिप से। 
  2. वमन की स्थिति में पेरिनारम (Perinorm) 1-2 मिली 1/M दें। आवश्यकतानुसार 6 घंटे बाद पुनः। 
  3. आक्षेप (Convulsion) में पैराल्डिहाइड 8-10 मिली 1/M आवश्यकतानुसार 6 घंटे बाद पुनः। 
  4. रक्ताल्पता में इन्जे. डकाडुरोवोलीन (Decadurabolin) 100 मिलीग्राम 1/M दें एवं मैक्राफोलिन आयरन 1 गोली दिन में 2 बार रोजाना।
  5. सेडेटिव-डायजीपाम 6-30 मिलीग्राम नित्य मुख द्धारा। 
  6. हृदय दौर्बल्य के लिए डिजाक्सिन 1-1 गोली सप्ताह में 3 बार। 
  7. तीव्र अतिसार की स्थिति में स्ट्रेप्टोमाइसिन 1 ग्राम दिन में 2 बार एवं क्लोरम्फेनिकाँल। 
  8. रक्तस्राव में विटामिन C- 500 मि.ग्रा दिन में 1 बार। 
  9. एसिडोसिस में ग्लूकोज सैलाइन, 250 मिग्रा (5%) + सोडियम लैक्टेट सोल्यूशन 250 मिली दोनों मिलाकर आई. वी. ड्रिप 24 घंटे में 1 बार। इन्फ्यूजन देने से पूर्व 10 यूनिट सोल्युवल इन्सुलिन दे। 
  10. अरुचि एवं वमन- मुख से तरल बंद। डेक्स्ट्रोज सैलाइन 5%, 120-240 मि.ली. प्रति 4 घंटे पर गुदा मार्ग से। 
  11. Dextrose Saline 5% by IV Drip.
  12. In case of vomiting, give Perinorm 1-2 ml 1/M. Again after 6 hours as needed.
  13. In convulsion, paraldehyde 8-10 ml 1/M again as needed after 6 hours.
  14. Inj in anemia. Give Decadurabolin 100 mg 1/M and Macrafolin Iron 1 tablet twice daily.
  15. Sedative-diazepam 6-30 mg daily orally.
  16. Digoxin 1-1 tablet 3 times a week for heart failure.
  17. In case of acute diarrhea, streptomycin 1 g twice a day and chloramphenicol.
  18. Vitamin C in bleeding - 500 mg once a day.
  19. In acidosis, glucose saline, 250 mg (5%) + sodium lactate solution 250 ml mixed together by IV drip once in 24 hours. Give 10 units of soluble insulin before giving the infusion.
  20. Anorexia and vomiting - Fluid off the mouth. Dextrose Saline 5%, 120-240 ml By the rectal route every 4 hours.
                      अनुभूत चिकित्सा एक झलक:- 
                      • मेग्सल्फ 16 ग्राम पानी में घोलकर 1-1 घंटे बाद पिलाए।  2-4 दस्त खुलकर आ जातें हैं। अथवा 'मिल्क ऑफ मेगनेसिया' 2 चम्मच बराबर जल मिलाकर दिन में 2-3 बार दे एवं 'अलकसाइट्रोन' (ग्लुकोनेट) 1-3 चम्मच बराबर जल मिलाकर दिन में 3 बार दें। 
                      • क्लैम्प (Clamp) 'सोल' कं. 1-1 कैप्सूल दिन में 3 बार। 
                      • बायमाकस (Wymox) 'वाईथ' 250-500 मि.ग्रा. दिन में 3 बार दे। 
                      • Dissolve 16 grams of Magsulf in water and give it after 1-1 hours. 2-4 diarrhea comes freely. Or give 'Milk of Magnesia' by mixing 2 teaspoons equal water 2-3 times a day and 'Alkacitron' (Gluconate) mixed with 1-3 teaspoons equal water, thrice a day.
                      • Clamp 'Soul' Co. 1-1 capsule 3 times a day.
                      • Bimacus (Wymox) 'Wyeth' 250-500 mg. Give 3 times a day.
                        By:- A.P.Singh (M.Sc. Agronomy)

                      Khajanchi Chauraha (U.P.-53)

                      Gorakhpur-273003

                      India

                      लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)  
                      सहायक :- अंशिका सिंह पटेल (B.A., B.T.C.) 


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                      Sunday, March 6, 2022

                      IF YOU WANT TO BEAT THE WEIGHT, THEN DRINK BUTTERMILK

                       वजन को देना हैं मात, तो पिएं छाछ


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                      यदि आप अपने मेटाबॉलिज़्म को बढ़ाकर आप भी वजन घटानें की प्रक्रिया को बढ़ावा दे सकतें हैं। तो इसके लिए आप को घर के बने हुए कुछ पेय आपके लिए बेहतर हो सकतें हैं। आइये जाने इसके विषय में हेल्दी अम्मा की कुछ खास टिप्स...

                      कुछ लोगो का मेटाबॉलिज़्म स्वाभाविक रूप से तेज होता हैं।  ऐसे में लोग कम प्रयास करके भी जल्दी से वजन धकम कर लेते हैं। लेकिन कुछ लोगों के साथ इसा नहीं होता।  तो, वे अपने मेटाबॉलिज़्म को बढ़ावा देने लिए कुछ तरकीबे आजमा सकतें हैं , जैसे:-...

                      ☞☛  गर्म पानी  के साथ नींबू का सेवन:-

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                      घर पर तैयार यह पेय वसा को तेजी से कम करने के लिए मेटाबलिज़्म को गति देता हैं। इससे पाचन क्रिया भी सुधरती हैं।  तो एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़े और इसे सुबह खाली पेट पिए। विटामीन-सी के लाभों से भरपूर, यह पेय फ्लेवोनाइड्स, पोटैशियम, फोलेट और विटामिन-बी जैसे मिनरल्स से भी भरपूर होता हैं, जो आपके शरीर को नम रखता हैं और शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालता हैं। 

                      ☞☛  हर दिन छाछ लें सेवन:-

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                      गर्मी की शुरुआत हो चुकी हैं, तो अब छाछ अपने आहार में शामिल करें। खासकर यदि आप अपना वजन कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती हैं। भोजन के बाद छाछ का सेवन करने से पाचन में सुधार होता हैं। और चपापचय को बढ़ावा मिलता हैं। साथ ही वसा के जमाव को भी कम किया जा सकता हैं। इसमें आप जीरा पाउडर, काला नमक, कटा हुआ हरा धनिया आदि मिला सकतें हैं। 

                      ☞☛  दिन में एक कप ब्लैक कॉफी का करें सेवन:-

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                      अगर इसे सही तरिके से तैयार किया जाए, तो यह भी वजन कम करने में आपकी मदद कर सकती हैं। सुबह के समय बिना चीनी के एक कप ब्लैक कॉफी लें। लेकिन, इसके सेवन में आपको सावधानी बरतनी होगी। जैसे यदि आप इसे अधिक मात्रा में लेते हैं , तो आपको चिंता और नींद न आने जैसी समस्या हो सकती हैं। 


                      NOTE:- आप को हेल्दी अम्मा की यह जानकारी कैसी लगी आप कमेंट बॉक्स में जरूर बताएँ।  और आप इसे अपने लोगो के पास जरूर शेयर करें।



                      By:- अंशिका सिंह पटेल (B.A.(HOME SCIENCE), B.T.C.)

                      Khajanchi Chauraha (U.P.-53)

                      Gorakhpur-273003

                      India

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                      NARIYAL KI BARFI 2022

                       नारियल की बर्फी


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                      नारियल का इस्तेमाल यो तो दक्षिणी भारतीय खाने में प्रचुर मात्रा में होता हैं, पर अन्य कई डिश में भी इसका इस्तेमाल होता हैं।  नारियल की कुछ स्वादिस्ट रेसिपीज आप सभी को हेल्दी अम्मा बता रही हैं। 

                      ☞☛ नारियल की बर्फी 6 लोगो के तैयार करने हेतु (इससे अधिक के लिए सामग्री की मात्रा में बढ़ोत्तरी कर लें) 

                      ☞☛ कुकिंग का समय 60 मिनट लगभग

                      ☞☛ नारियल की बर्फी बनाने के लिए आयश्यक सामग्री:- 

                      1. खोया - 250 ग्राम
                      2. कछुकस किया नारियल - 250 ग्राम
                      3. ईलायची पाउडर - 1 चम्मच
                      4. घी - 1 चम्मच
                      5. चीनी - ढाई कप
                      6. पानी - 2 कप
                      7. कछुकस किया बादाम - आधा चम्मच
                      8. कछुकस किया पिस्ता - आधा चम्मच
                      ☞☛  बनाने की विधि:-

                                                          एक कड़ाही में खोया, नारियल और एक चम्मच घी डाले और इसे धीमी आंच पर भुने। फिर इसमें इलायची डाले और अच्छी तरह मिलाये। चीनी और पानी से चाशनी तैयार करें। अब नारियल वाले मिश्रण को इस चाशनी में मिलाते हुए डालें। एक प्लेट पर हल्का-सा घी लगाएं और उस पर कछुकस किया हुआ सूखा मेवा फैलाए। नारियल के तैयार मिश्रण को प्लेट पर फैला दें। मिश्रण जब हल्का सख्त हो जाए, तो उसे चाकू की मदद से मनचाहे आकार में काट लें। चाहे तो पूरी प्लेट को एक टिश्यू पेपर पर पलट दे। इसमें मेवों वाला हिस्सा ऊपर की ओर आ जाएगा। अब आप की नारियल बर्फी आप के सामने सर्व करने के लिए तैयार हैं। 

                      By:- अंशिका सिंह पटेल (B.A.(HOME SCIENCE), B.T.C.)

                      Khajanchi Chauraha (U.P.-53)

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                      India

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                      Thursday, March 3, 2022

                      WHAT IS MIGRAIN-सिर का दर्द

                       आधे  सिर का दर्द / माइग्रेन 


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                      परिचय:- इसमें रोगी के आधे सिर में भयानक दर्द होता हैं। यह 15 वर्ष की आयु में पूर्णविकता होता हैं। In this, there is severe pain in half of the patient's head. It attains full maturity at the age of 15 years.

                      नैदानिक रोग लक्षण 

                      • पारिवारिक इतिहास मिल सकता हैं। 
                      • वमन, उबकाई एवं प्रकाश शायदरता (फोटोफोविया), हेमिएनोपिया (अधि दृष्टता) ।  
                      • धुंधला दिखाई देना। 
                      औषधि चिकित्सा व्यवस्था:-
                      • यदि रोग का दौरा हल्का हैं तो 'एस्प्रिन' जैसी दर्द निवारक औषधि। 
                      • अर्गोटेमिन टारट्रेट 0.25 से 0.5 मिलीग्राम माँसपेशिगत या 1-2 मिलीग्राम की टिकिया। 
                      • कुछ रोगियों में प्रोप्रानोलोल उपयोगी सिद्ध हुई हैं। 
                      • कब्ज की चिकित्सा करें। 
                      • रोगी को अँधेरी जगह में रखे और उसे धुप में  घूमने से मना करें। 
                      • टैब, फिनोबारवीटोन 6 मिलीग्राम या स्टेमेटिल आक्रमण को रोकने में सहायक हैं। 
                      • टैबलेट वैसेग्रेन (Vasograin) या टैब. माइग्रिल (Migril) 1 मिलीग्राम हर आधे घंटे में दे। जब तक की आराम न हो जाए। ऐसी 6 खुराक दें। 
                      • इंजेक्शन इसजीपायरिन (Esgipyrin) 3 मिली दें। 
                        नोट:- आज कल के समय में रोगियों को मोबाइल न चलाने दें। आदेशानुसार:- घर की महिलाओं द्धारा जनहित में जारी। 

                      By:- A.P.Singh (M.Sc. Agronomy)

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                      Gorakhpur-273003

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                      लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)  
                      सहायक :- अंशिका सिंह पटेल (B.A., B.T.C.) 


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                      FILARIASIS-FAILERIYA ALLOPATHIC MEDICINE

                       फीलपाँव-फाइलेरिया (फ़ाइलेरियेसिस--FILARIASIS)


                      https://healthyamma.agriculturebaba.com/


                      नाम:- हाथी पाँव, हाथी पगा, फाइलेरिया, श्लीपद। 

                      परिचय:- फाइलेरिया के जीवाणु के उपसर्ग से उत्पन्न यह ज्वर हैं जिसमें लसीका वाहिनियों का अवरोध और शोथ होता हैं। 

                      रोग के कारण 

                      • श्लीपद (फाइलेरिएसिस) उत्पन्न करने वाली कृमि (Wuchererea Bancrafli) प्रजाति की हैं जो फाइलेरिया परिवार की कई प्रकार की कृमियों में से एक हैं। 
                      • इसका संक्रमण (Infection) 'क्यूलेक्स फेटागेंस' नामक मछर के काटने से होता हैं। 
                      • कृमियाँ मनुष्य की लसगरन्थियों थोरेसिक डक्ट्स और लसवाहिनियों में रहती हैं। 
                      रोग के लक्षण 
                      • समान्यतः ठण्ड के साथ तेज बुखार। 
                      • दौरे के समय उबकाई एवं वमन। 
                      • ज्वर क्रमशः 3 से 5 दिन में उतर जाता हैं, कुछ दिन, सप्ताह या माह के बाद पुनः आक्रमण होता हैं। 
                      • अत्यधिक स्वेद के साथ ज्वर उतरता हैं। 
                      • कभी-कभी प्रतिदिन निश्चित समय पर मलेरिया के समान अथवा सेप्टिक फीवर के समान। 
                      • ज्वर के साथ ही किसी अंग विशेष की लसीका वाहिनियाँ कड़ी, मोटी और टेढ़ी-मेढ़ी दबाने पर कड़ी रस्सी के समान ऊपरी चर्म पर लाली। 
                      • अधिकांश प्रभावित होने वाली लसीका वाहिनियाँ 'अण्डकोष' जाँघ और भुजा की होती हैं। ग्रन्थियों में 'वक्षण' 'कक्षा' कोहनी और गले की प्रायः प्रभावित होती हैं।  उदर के अंदर की प्रायः प्रभावित होती हैं। उदर के अन्दर और वक्ष की लसीका वाहिनियां और ग्रन्थियां भी। 
                      विशेष लक्षण 

                      https://healthyamma.agriculturebaba.com/


                      1. दूरस्थ में शोफ (Oedema) प्रायः पैर, अण्डकोश एवं अग्रबाहु (Fore Arm) में। पैर के पृष्ठ, टखने और टांग में घुटनों तक बहुत अधिक। 
                      2. शोफ की मात्रा बढ़ती जाती हैं यहाँ तक की पैर बहुत मोटा, हाथी पैर के समान हो जाता हैं।  हाथ में इतना अधिक शोफ नहीं होता। 
                      3. पैर एवं अण्डकोश सदैव नीचे लटके होते हैं। 
                      4. शोफ के ऊपर की त्वचा मोटी और कड़ी होती हैं और अनेक बार गांठदार भी। 
                      5. अंडकोस कभी-कभी इतना बड़ा होता हैं की शिश्न (Penis) उसमें धंस सा जाय और चलने में भी कठिनाई होती हैं। 
                      6. उदर की लसीका प्रभावित होने से तीव्र स्वरूप की उदर पीड़ा होती हैं और कभी-कभी मृत्यु भी। 
                      7. वक्ष की ग्रंथियाँ एवं लसीका वाहिनियां प्रभावित होने से छाती में पीड़ा एवं खाँसी। 
                      8. खुजली, अनियमित लालिमायुक्त त्वक शोथ सारे शरीर पर बिखरा हुआ मिलता है। 
                      रोग की पहिचान 
                      • बार-बार ज्वर के साथ लसीका वाहिनियों के शोथ एवं अन्य लक्षणों से निदान होता हैं। 
                      • रक्त परीक्षा में फाइलेरिया जीवाणु का मिलना। 
                      • परिपक्व कृमि की पहिचान के लिए 'ग्लैड बायोप्सी' करना चाहिए।
                      रोग का परिणाम 
                      • जैव अंगों (Vital Organs)  में जीवाणु के उपद्रव से कभी-कभी मृत्यु। 
                      • शोफयुक्त अंगो के आकार एवं बोझ से असुविधा। 
                      • अन्य संक्रमणों के साथ हो जाने से पर मृत्यु सम्भव। 
                      औषधि चिकित्सा व्यवस्था 
                      1. शैय्या पर पूर्ण विश्राम (Complete Bed Rest)
                      2. प्रभावित अंग को ऊँचा उठाकर रखे। 
                      3. वेनोसाइट फोर्ट 100 मि. ग्रा. की टिकिया दिन में 3 बार 3 सप्ताह तक। 
                      4. बुखार कम करने के लिए पैरासिटामोल (कालपोल/मेटासिन/क्रोसिन) अथवा फेवरेक्स प्लस दे। 
                      5. ब्रूफेन 400 या 600 मिली ग्राम की टिकिया दिन में 3 बार। 
                      6. अन्य संक्रमणों के लिए सल्फा ड्रग्स एवं पेनिसिलिन। 
                      7. आवश्यकतानुसार शल्य कर्म। 
                      https://healthyamma.agriculturebaba.com/




                      नोट:- 'फिलसिद' (Filocid) 'ग्लुकोनेट' का 2 मिली. इंजेक्शन मांस में हर तीसरे दिन/कुल 6 से 12 इंजेक्शन तक। 
                                या 'फ्लोरोसिड' (Florocid-'ईस्ट इंडिया) का इंजेक्शन मांस में सप्ताह में 1 बार। कुल 4-8 इंजेक्शनों की आवश्यकता पड़ती हैं।

                      फाइलेरिया की आपातकालीन चिकित्सा इस प्रकार से भी:-
                      • डाईइथाइल कोर्बोमेजिन साइट्रेट 2 मिली ग्राम प्रति किलो ग्राम शरीर भार से दिन में 3 बार 3 सप्ताह तक दे। इसकी मात्रा शुरू में कम रखकर 3-4 दिनों के बाद ज्यादा दे। 4-6 सप्ताह बाद एक कोर्स और दे दें। 
                      • एलर्जी के लक्षणों को काबू में लाने के लिए साथ में एंटीहिस्टामिनिक एवं एस्टीरॉइड्स दें। 
                        

                      By:- A.P.Singh (M.Sc. Agronomy)

                      Khajanchi Chauraha (U.P.-53)

                      Gorakhpur-273003

                      India

                      लेखक :- ए. पी. सिंह M.Sc. agronomy (www.agriculturebaba.com)  
                      सहायक :- अंशिका सिंह पटेल (B.A., B.T.C.) 


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